उनकी तस्वीर देखा करते हैं
हम महफ़िल में बैठकर उनकी तस्वीर देखा करते हैं
रोज साँझ सवरे उन्हें अनजान राहो में ताका करते हैं
हम तो आशिक मिजाज़ हैं, दीवाना है अंदाज
गुस्से को भी उनके जाम-ए-शबाब समझ कर पिया करते हैं
मेरी अपनी कहानी
हम महफ़िल में बैठकर उनकी तस्वीर देखा करते हैं
रोज साँझ सवरे उन्हें अनजान राहो में ताका करते हैं
हम तो आशिक मिजाज़ हैं, दीवाना है अंदाज
गुस्से को भी उनके जाम-ए-शबाब समझ कर पिया करते हैं
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