तुम्हे लिखना नहीं आता

शुभ प्रभात
नोटों का ढेर लगा था मगर लोगो ने कह दिया तुम्हे रखना नहीं आता
उन्नति की उम्मीद बहुत थी उन्होंने फिर कहा तुम्हे उठना नहीं आता
और मैं तो एक एक करके जोड़ता चला जा रहा था शब्दों को शब्दों से
मगर जालिमो ने फिर से एक बार कहा गुनी तुम्हे लिखना नहीं आता

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