तोड़कर बस्तियां Author Gurmeet Singh Created September 21, 2014November 14, 2016 Updated November 14, 2016September 21, 2014 Comments 0 Reading time Less 1 min Views 38 Categories: अन्य, मुक्तक लोग तो लगे पड़े हैं तोड़कर बस्तियाँ महलो को सजाने मेंकाम काज छोड़कर घरो का अपने खुद को नेता बनाने मेंएक बार फिर खबरदार करता हूँ मत दे तू यातनाएं इतनीदुःख ही होगा , और क्या रखा है गरीब का दिल दुखाने में #गुनी…
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