पूर्ण विराम लगाता हूँ Author Gurmeet Singh Created September 17, 2014November 14, 2016 Updated November 14, 2016September 17, 2014 Comments 0 Reading time Less 1 min Views 37 Categories: अन्य, मुक्तक तूने बनाया यूँ मजबूर इतना मैं सरेआम इल्जाम लगाता हूँकभी हँसता था दिन भर अब रोने में सारी शाम लगाता हूँकहीं खो दिया था जीवन अपना तेरे प्रेम के आशियाने मेंअब दुःख होता है मैं इस दास्ताँ पर पूर्ण विराम लगाता हूँ #गुनी …
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