आकाश के परिंदों की उड़ान को कहाँ किसी ने रोका है और ऊंचा उठो तुम, आसमाँ को कहाँ किसी ने रोका है #गुनी...
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जिस्म बेकार में है
तुझे ख्याल भी है इस बात का, गुनी कबसे तेरे इंतजार में हैं दिल तेरा हुआ, रूह छोड़ गयी अब तो ये जिस्म बेकार में है #गुनी...
अजान की जरूरत क्या है
सफर लम्बा हो तो रास्तो...
तेरी मौजूदगी इनायत हो गयी
मेरी जिंदगी के इस नायाब...
किताबो में लिखा है,
गुनहगार को मौत तक , आसानी...
एक दफा ऐतबार तो कीजिए
लो भैया हाज़िर है ये अदना...
हर्ज ही क्या है
दिल की बात बताने में, हर्ज...
चिराग जलाया तो होता
खुदा से मुलाकात की...
हर्ज ही क्या है
दिल को दिल की बात बताने...
मौहब्बत करना गुनाह था
चलो मान लिया मौहब्बत...