जब से गयी हो मैं मुजस्सिमा हो गया हूँ पग पग पर ठहर जाने को मन करता है #गुनी...
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खत नामंजूर हुआ है
भला ऐसा हुआ है कभी लहरें समन्दर से नाता तोड़ लें यकीनन मेरी सिफारिशों का कोई खत नामंजूर हुआ है #गुनी...
मेरे बारे में ख्याल क्या है
ख्वाब से निकलकर पूछ लो मेरा हाल क्या है कभी दिल को पढ़कर देख लो सवाल क्या है लोगो का कहना है मुझे मौहब्बत नहीं आती तुम ही बता दो अब मेरे बारे में...
गुनी का कहाँ कोई कसूर रखा है
कम्बख्त ने खुद को बड़ा मशहूर रखा है कल जो था आज भी वही ग़ुरूर रखा है रास्तो को बदलना बड़ा आसान था वैसे उसकी यादो ने बना कर मजबूर रखा है जब भी देखता...
असल किरदार में आ
वाकई खबर है तो आ, किसी अखबार में आ झूठा नकाब उतार कर असल किरदार में आ #गुनी...
हैरान न होईये
गुनी फिर से हाज़िर है खिदमत में जनाब हैरान न होईये आज मौहब्बत पर कर ली जाये गुफ़्तुगू परेशान न होईये #गुनी...
नजर मिल गयी
एक दफा हमारी, उनसे कहीं नजर मिल गयी यूँ मानिये हमें सारे जहां की खबर मिल गयी जब निकलता है गुनी चाँद के साथ अकसर लोग पूछ लेते हैं ये चांदनी किधर...
नजर मिल गयी
एक दफा हमारी, उनसे कहीं नजर मिल गयी यूँ मानिये हमें सारे जहां की खबर मिल गयी #गुनी...
उम्मीद वफ़ा की
जमाने से मैं उम्मीद लगाकर बैठा था वफ़ा की आज किसी तूफां को बड़े नजदीक से देखा है #गुनी...
ख्वाब रह गया
छिप गया चाँद देखो चेहरे पर सिर्फ नकाब रह गया रात भर देखा था अधूरा ही मेरा वो ख्वाब रह गया #गुनी...