सेना का सिपाही हूँ

कभी अपने घर की खिड़की खोलकर देखा है मुझपर ऊँगली उठाते हो कभी नेता जी को बोलकर देखा है ये मत सोचना मैं बाज़ार में खड़ा ठेले वाला हूँ गुड्डे गुडिया की...

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हर खंजर पुराना होगा

शुभ संध्याजिस दिन मुहब्बत झुक जाएगी मुहब्बत के सामने वो मंजर सुहाना होगाकैद को न होगी जरुरत किसी जैल की, हाँ आँखों का पंजर बनाना होगावो वक़्त ही और...

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