मन कुंदन कर आया Author Gurmeet Singh Created September 26, 2014November 14, 2016 Updated November 14, 2016September 26, 2014 Comments 0 Reading time Less 1 min Views 34 Categories: अन्य, मुक्तक देखकर तीर्थ बद्री , काशी और हरिद्वार यहाँ पूजा को मन कर आयाखूब सुनी थी अंग्रेजी उर्दू और फारसी फिर हिंदी में भजन कर आयाबेहद अनमोल जन्म था , खुद काला – कोयला और मिट्टी कर डालाशीश झुकाकर माता के चरणों में मैं अपना तन मन कुंदन कर आया #गुनी…
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