मेरे हाथ ख़त भी नहीं
मेरे हाथ ख़त भी नहीं उन तक पैगाम पहुँचाने को मेरे साथ वो भी नहीं कुछ वक़्त बिताने को मैं तड़प रहा शिशिक रहा हूँ यादो में उनकी मेरे पास कोई राह नहीं वापस लौट जाने को
मेरी अपनी कहानी
मेरे हाथ ख़त भी नहीं उन तक पैगाम पहुँचाने को मेरे साथ वो भी नहीं कुछ वक़्त बिताने को मैं तड़प रहा शिशिक रहा हूँ यादो में उनकी मेरे पास कोई राह नहीं वापस लौट जाने को
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