कवि खुद्दार निकला

भइये कवि तारीफ सुनी हे कभी…

मुनाफे में तमाम मौहल्ला हिस्सेदार निकला
सब नेता हो गए महज कवि खुद्दार निकला

किसी ने चारा, किसी ने कोयला, सब साफ
बाबू समझ बैठे थे, वो तो जमादार निकला

नेता जी के भाषण से चार मरे आठ घायल
कवि गया ही नहीं, कवि खबरदार निकला

सब काम छोड़ दिए, धंधे तमाम छोड़ दिए
जिसने ना छोड़ा वो कवि होशियार निकला

सारे नारे झूठे, सारे वाएदे झूठे, सबने माना
इस धरती पे सिर्फ कवि समझदार निकला

#गुनी…

Author photo
Publication date:

Leave a Reply