खुदा मेरे अंदर से निकला है

तेरे मेरे दरमियां अब दूरियों का सिलसिला है
तू खुद बता तुझे मुझसे किस बात का गिला है

जहाँ जिक्र किया था तूने अपनी रुसवाइयों का
दराज में तेरा खत मुझे आज फिर से मिला है

कोई फर्क नहीं पड़ता, बेहद पुराना है ये सब
बेशक मैं जला हूँ या बेचारा मेरा दिल जला है

जिसकी किस्मत उसको मुबारक मुहब्बत हो
मैं कैसे कह दूं कहीं कीचड़ में कमल खिला है

आजकल ये लोग पागल समझने रहें हैं मुझे
किसको बताऊं ख़ुदा मेरे अंदर से निकला है

#गुनी…

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