खुद भी पर गुरुर हो गया
कुछ यूँ हुआ कि जब जरुरत पड़ी हमें तो हर शख्स मजबूर हो गया
जो किया करता था वायेदा साथ निभाने का वही कुछ दूर हो गया
देखो इन्सान का साथ तो परछाई भी छोड़ देती है
जिसको दी पनहा इन आँखों में, उसे खुद भी पर गुरुर हो गया
मेरी अपनी कहानी
कुछ यूँ हुआ कि जब जरुरत पड़ी हमें तो हर शख्स मजबूर हो गया
जो किया करता था वायेदा साथ निभाने का वही कुछ दूर हो गया
देखो इन्सान का साथ तो परछाई भी छोड़ देती है
जिसको दी पनहा इन आँखों में, उसे खुद भी पर गुरुर हो गया
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