जो एक साल सीमा पर रहने वाला ही नेता हो पाता

जब से धरती मेरे देश की दो हिस्सों में बंट गयी है
जब से पठानकोट में एक अनहोनी घट गयी है
तब से मेरे मन में एक प्रश्न एक यूँ ही घूम रहा है
नर बलि पर, दूसरा नर कैसे झूम रहा है?
सत्ता के लालच में जाने क्या क्या कर रहें हैं
इनके ही चक्कर में सैकड़ो सैनिक मर रहें हैं
साहब इतना कुछ लिखा मेरे सविंधान में
जरूर कमी रही होगी उस वक़्त के ज्ञान में
वरना शैक्षिक योग्यता ना देखी कोई बात नहीं
सारे दिन इनके हिस्से में लिखे लिखी रात नहीं
ये युग सदा सदयुग होता न कलयुग, न त्रेता हो पाता
जो एक साल सीमा पर रहने वाला ही नेता हो पाता

#गुनी…

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