इतिहास लिख डाला

यूँ ही लिखते लिखते कविता लिख दी , कभी कविताओ में अहसास लिख डाला
कभी प्रेम लिखा कभी ललकार लिखी कभी झाड झंगाड़ कभी घास लिख डाला
रे क्या ख़ाक लिखा मैंने बस कागज के कुछ पन्नो को स्याही से भर बेकार किया
लिखा तो शहीदों ने देखो रक्त से धरावक्ष पर स्वर्ण शब्दों में इतिहास लिख डाला

#गुनी…

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