इजहार-ए-इश्क Author Gurmeet Singh Created September 29, 2014November 14, 2016 Updated November 14, 2016September 29, 2014 Comments 0 Reading time Less 1 min Views 39 Categories: अन्य, मुक्तक तेरी फितरत से ही इतना झुलसा हुआ हूँ, क्या जरुरत है जलाने कीयादो में मर मर कर ही तो जी रहा हूँ अब क्या जरुरत है सताने कीकल ही तो मिले हम मीठे सपनो में जब इजहार-ए-इश्क किया था मुझे तुझसे इश्क है तुझे मुझसे इश्क है तो क्या जरुरत है बताने की #गुनी…
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