हर शख्स इंसान नहीं है

जितनी लगती है, जिंदगी उतनी भी आसान नहीं है
इन रास्तो पर मिलने वाला हर शख्स इंसान नहीं है

यकीनन, अब तो सिर्फ वो लोग जलेंगे हमसे मियां
जिनकी अब तलक यहां खुद कोई पहचान नहीं है

भागता, ना दौड़ता, मैं अपनी मस्ती से चल रहा हूँ
मुझे मालूम है , कम्बख्त मंजिलो का ईमान नहीं है

मैं तो भी झूठ बोल देता, कर गुस्ताखियाँ ढेर सारी
मगर निगाहें मेरी सच बोल देंगी ये बेजुबान नहीं है

मौहब्बत भी कोई – कोई करता है मुझे तो साहब
दोस्त बताते हैं कमियां भी मेरी तू धनवान नहीं है

हर और जिंदा लाश, फर्क किसी को नहीं पड़ता
मुझे शक है ये दुनिया है वाकई , शमशान नहीं है

माहौल कुछ ऐसा है  , मुझे काफ़िर बताने लगे हैं
दलील ये है ,  मेरे हाथो में गीता या कुरान नहीं है

जरूर कर लूँगा हासिल , बुलंदियों को एक दिन
ये मेरा खुद पर भरोसा है, कोई अभिमान नहीं है

देकर गालियां, जो तख्तो ताज ये हासिल किया
क्या नफा है इसका, जब बुजुर्गो का मान नहीं है

जुर्म को जुर्म कहने की ताकत दी है मेरे खुदा ने
जो झूठ को सच कहे, ‘गुनी’ इतना महान नहीं है

#गुनी…

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