गुलाब-ए-गुलिस्तां

मेरी आँखे भी बंद होती है तो तेरा चेहरा नजर आता है
मेरी धड़कन भी बंद होती है तो तेरा रूप समझ आता है
मुझे क्या मतलब होगा उस कीचड़ में खिलते कमल से
जब गुलाब-ए-गुलिस्तां मुझे रोज सुबह नमन कर जाता है

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