जख्मो का किस्सा, किसी का...
Category: अन्य
ठिकाना बदल लिया है मंजिलो ने
हमारे बीच फ़ासलें ही...
कोई भी मर लेता
बात सिर्फ हिफ़ाजत की होती...
मेरा दख़ल मुनासिब न था
तेरी जिंदगी में मेरा दख़ल...
ईद ही भूल गया
इतना व्यस्त हो चला भाग...
कोई शिष्टाचार नहीं है
अपनी माँ को गाली देना ये...
बिन कारण तो फूल भी रास नहीं आते
गलती हो, तो कांटो पर सुला...
कुत्ते के हिस्से में हिन्दुस्तान
माँ की गाली देकर मुरखो ने...
कदमो ने इतनी ठोकरें खाई हैं मेरे
कदमो ने इतनी ठोकरें खाई...
माँ की लोरियाँ जीत जाती हैं अकसर
वैसे तो तेरी याद सोने की...