तेरे इन पुराने शतरंज के...
Category: अन्य
मन कुंदन कर आया
देखकर तीर्थ बद्री , काशी...
बचपन नादान दो
मेरा तो बचपन ही अच्छा था...
पिछड़ा ज़माना कहेंगे
मैं नहीं करता किसी से...
चाय बनाने वाला आया है
मैं किसी भी राजनैतिक...
तुम बताना छोडो
विरोधी दुनिया में हर...
देखने चेहरें बहुत हैं
मत न कर फ़िक्र किसी बात की,...
तोड़कर बस्तियां
लोग तो लगे पड़े हैं तोड़कर...
जरुरत नहीं गांधीवाद की
जिधर देखता हूँ देश में...
इन्सान बनकर
कोई आता है अनजान बनकर , वाह...