आओ कसमे खाएं अपनी...
Category: मुक्तक
हमें बीमार कर गई
एक नजर इस पर भी...कैसे भुला...
आदत थी यादें बनाने की
हमरा तो सर ही चकरा गवा है...
शायद मंद हवा थी
सिर्फ तुम...हां तुम...ओह हो...
हिन्दुस्तान लिखता हूँ
सोचिये कुछ इस तरह...
खफा है मेरी परछाई से
कोशिश छोटी सी...क्या फर्क...
जीवन मे फैसले सोच समझकर लें
कुछ ही समय पहले की बात है...
ना यूँ कि मैं घर मे एकलौता हूँ
शुभ प्रभात ...एक हाथ है जो...
आकाश की ऊंचाई का अंदाजा...
खुद को तस्वीरों सा रख
नमस्कार मित्रो...