हम महफ़िल में बैठकर उनकी तस्वीर देखा करते हैंरोज साँझ सवरे उन्हें अनजान राहो में ताका करते हैंहम तो आशिक मिजाज़ हैं, दीवाना है अंदाजगुस्से को भी...
मेरी अपनी कहानी
हम महफ़िल में बैठकर उनकी तस्वीर देखा करते हैंरोज साँझ सवरे उन्हें अनजान राहो में ताका करते हैंहम तो आशिक मिजाज़ हैं, दीवाना है अंदाजगुस्से को भी...