Category: मुक्तक

गुलाब की पंखुडियो से भी डर लगता है

गुजर गया वो वक़्त जब तेरी हसरत थी मुझेबीत गया समय वो जब तेरी चाहत थी मुझेअब तो गुलाब की पंखुडियो से भी डर लगता हैचली गयी वें राहें जहाँ तेरी जरुरत थी...

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दोस्ती ….

वो दोस्ती ही क्या जिसमे तेरा मेरा विश्वास न होवो लम्हे ही क्या जिसमे मेरा दोस्त पास न होसहारा तो एक लाठी भी दे दिया करती है दोस्तोंवो साथ ही क्या...

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जमीं नहीं होगी

उठाकर मेरे देश का इतिहास देखो, यहाँ वीरो की कमी नहीं होगीकिसी के डर से शाहदत और बलिदान की आंधी थमी नहीं होगीऔर जो सोच राहें हैं अपने कुपुतो के...

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फिर कहते अभी बहुत है बाकि

सब कुछ लुटा दिया अंग्रेजो पर फिर कहते अभी बहुत है बाकिसत्ता खातिर देश बिकवा दिया फिर कहते अभी बहुत है बाकीकुत्तो को तुम कितनी हड्डी डालोगे ये हमको...

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नारी…

नारी बेटी है, बहन है, कहीं बहू, तो कहीं माँ का रूप लेती हैघर की हर उलझन को समझे निर्णय सबके अनुरूप लेती हैबस घर चलाना ही नहीं आता, संघर्ष की भी नेता...

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गरीब तो बस यूँ ही बेवजह बदनाम है

हमने अमीरों के घर को गरीबो के खून से चिनते देखा हैगरीब को अच्छाईयां और अमीर को नोट गिनते देखा हैदुनिया में गरीब तो बस यूँ ही बेवजह बदनाम हैवरना हमने...

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नादान दीवाना…

जुल्फों पे घनी, मैं नादान दीवाना हुआप्रेम की सजा, कि दुश्मन जमाना हुआफिर भी न छोड़ी, ये राहें, वो मंजिलमैं दिखावा, ये दिल बस नजराना हुआ

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वतन के वास्ते …

हंसने हंसाने का काम बहुत हुआ , अब रहा नहीं कोई बाकिपीने पिलाने का भी खूब चला, हमसा न मिलेगा कोई साकीअब तो कर जाओ कुछ काम ऐसा , अपने वतन के...

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अपने ही बगावत करते हैं

कुछ लोग बिना बताये , कुछ बताकर शरारत करते हैंकुछ मज़बूरी से, कुछ दरियादिली से हिमायत करते हैंऔर नहीं निभाते, ये रिश्ते भी दिली मौहब्बत से लोगलोगो की...

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मोक्ष का ज्ञान…

सीखने की इच्छा हो , तो लोग मेघ को पानी देता देख भी दान सीख लेते हैंफलो से लदे पेड़ को देखकर भी , बड़ो का मान सम्मान सीख लेते हैंबेसक कुछ न हो हाथो...

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