वो कहती थी तेरी लेखनी के...
Category: मुक्तक
प्यार धोखा है
प्यार में अकसर धोखा...
आँखें झूठ नहीं बोलती
कौन कहता है "आँखें झूठ...
आज तक समझ नहीं आया
वो क्यूँ इतना इतराते हैं...
ईद मुबारक तीज मुबारक
आओ मिलकर हमसब खुशियों के...
गुरमीत सिंह ‘गुनी’ हूँ
मैं शब्दों को जोड़कर जाल...
शहीद होते देखा है
मैंने सीमा पर वीरो को रक्त बोते देखा है पीली धरती को अपने लहू से धोते देखा है ये खा लेते हैं गोली सीने पर ख़ुशी ख़ुशीमैंने बच्चो को इनकी याद में...
सपने छोड़ दिए
सिंहासन पर बैठने के सपने...
मक्कारो की टोली
गोली खाने की तमन्ना सीने पर न दिल से अब जाएगीफिर कहता हूँ नादानों अब मनमानी ये चल न पायेगीमैं मरने को पैदा हुआ हूँ, संघर्ष करूँगा हक़ की खातिरअब...
हूँ तो तेरे जैसा ही
दृढ किया हो निश्चय, फिर राह में कोई अडा नहीं हैऔरो की भी सुन, कतार में अकेला तू खड़ा नहीं हैज्यादा कुछ तो मैं भी न समझूँ , हूँ तो तेरे जैसा हीदुःख से...