जिधर देखता हूँ देश में...
Category: मुक्तक
इन्सान बनकर
कोई आता है अनजान बनकर , वाह...
हर खंजर पुराना होगा
शुभ संध्याजिस दिन मुहब्बत झुक जाएगी मुहब्बत के सामने वो मंजर सुहाना होगाकैद को न होगी जरुरत किसी जैल की, हाँ आँखों का पंजर बनाना होगावो वक़्त ही और...
सेना ने बचाया है
बात हो उतराखंड में बादल...
दोस्ती में टूटने
मित्रो मौहब्बत में दिल...
पूर्ण विराम लगाता हूँ
तूने बनाया यूँ मजबूर...
ना बात करनी है
ना मुलाकात करनी है, ना बात...
हिंदी की बात कर
गलत नहीं कोई पहनावा मगर...
दोस्ती का हाथ
दोस्ती ही थी वो, या बस...
निवाला देखता हूँ
आज दिलो में अँधेरा और...