Category: कविता

फ्रेंड शब्द विशेष ….

उसने मुझे एक दिन फ्रेंड कह बुलायामैं क्या करूँमेरी कुछ समझ नहीं आयामैंने थोडा सोचाफिर उसे कुछ यूँ पास बुलायाहे सुंदरी तनिक नजदीक तो आओहमने उसे भी एक...

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मैं मान रहा मैं मान रहा…

मैं मान रहा मैं मान रहा इन वीरो ने ही आजादी दिलवाई हैये सैनिक नहीं, भारत के आत्मविश्वास की लड़ाई हैपरसों लड़े थे काकोरी में, कल लड़े थे सीमा परआज...

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वीरो को समर्पित…

माँ का प्यारा लाल था वो, जिसने सीमा पर जान गवाई थीदेखकर खून से लटपत सीना, बच्चे का माँ रोई कुरलाई थीसोचा बस उसने इतना था, काश कि पूत एक और होतालड़ने...

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मुझे याद आती है

मुझे याद आती है गाँव की बाजरे की रोटीमीठे स्वाद की, जैसे गुड की ढेलीवो सहेलीजिससे मैं हर बात कह दिया करती थीसब छोड़ बस साथ उसके खेला करती थीमुझे याद...

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अब आँखों से ऑंखें लड़ाने में डर नहीं लगता

अब आँखों से ऑंखें लड़ाने में डर नहीं लगताकॉलेज के दुसरे माले पर आने में डर नहीं लगताबहुत रिझाती थी वो मुझे औरो के साथअब किसी और के साथ आने जाने में...

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माँ

माँ की महिमा गाने मैं आया हूँमाँ क्या होती है ये बतलाने मैं आया हूँबचपन में रोता देख मुझे रोटी थी माँआज वो बचपन खो चुका हूँमगर उस माँ की याद दिलाने...

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