भला रूह के बिन भी कोई जिंदगानी है

मेरी दास्ताँ शायद कोई रूखी कहानी है
समन्दर से ज्यादा इन आंखो में पानी है

कुछ इस तरह से गुजरी है, हर रात मेरी
आज तक वो मेरे ख्वाबो की दीवानी है

खुदा के रहम से बड़ा सुकूँ है जिंदगी में
वो नसीब में नहीं , इतनी सी परेशानी है

मुस्कुराहट को रोक लेती लबो पे अपने
देखो तो मियां वो भी कितनी सयानी है

लो ले जाओ ये तो बेकार ही है , जिस्म
भला रूह के बिन भी कोई जिंदगानी है

#गुनी…

Leave a Reply