बाजार में बिकता समान समझा Author Gurmeet Singh Created August 13, 2016November 14, 2016 Updated November 14, 2016August 13, 2016 Comments 0 Reading time Less 1 min Views 33 Categories: मुक्तक वो दिल था मेरा, जिसे तूने सिर्फ खाली मकान समझामुश्किल मेरी जिंदगी भी थी सिर्फ तूने आसान समझाजिस दिन से दूर किया है , जान नहीं है सलामत मेरीरूह थी वो जिसे तूने बाज़ार में बिकता समान समझा #गुनी…
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