Author: Gurmeet Singh

वतन के वास्ते …

हंसने हंसाने का काम बहुत हुआ , अब रहा नहीं कोई बाकिपीने पिलाने का भी खूब चला, हमसा न मिलेगा कोई साकीअब तो कर जाओ कुछ काम ऐसा , अपने वतन के...

Read more

अपने ही बगावत करते हैं

कुछ लोग बिना बताये , कुछ बताकर शरारत करते हैंकुछ मज़बूरी से, कुछ दरियादिली से हिमायत करते हैंऔर नहीं निभाते, ये रिश्ते भी दिली मौहब्बत से लोगलोगो की...

Read more

मोक्ष का ज्ञान…

सीखने की इच्छा हो , तो लोग मेघ को पानी देता देख भी दान सीख लेते हैंफलो से लदे पेड़ को देखकर भी , बड़ो का मान सम्मान सीख लेते हैंबेसक कुछ न हो हाथो...

Read more

माँ…

माँ देवी है, दौलत हैं, प्रेम के रिश्तो की मूरत हैन करती निवास मंदिर में, भगवान सी सूरत हैन रोटी, न कपडा ,नहीं चाहिए मुझे मकानबस जान लो इतना मुझे...

Read more

क्या जताना चाहती हो

यूँ आँखों से ओझल होकर , तुम क्या दिखाना चाहती होऐसे मुख को हमसे मोड़कर , तुम क्या बताना चाहती होहम तो रह लेंगे आसपास ही , उस बहती हवा के माफिकपर खुद...

Read more

मैं मान रहा मैं मान रहा…

मैं मान रहा मैं मान रहा इन वीरो ने ही आजादी दिलवाई हैये सैनिक नहीं, भारत के आत्मविश्वास की लड़ाई हैपरसों लड़े थे काकोरी में, कल लड़े थे सीमा परआज...

Read more

शब्द…

आसमाँ को देखकर , ऊँचा उठने को मन करता हैदेखकर इन्द्रधनुष , खुद को रंगने का मन करता हैजब देखता हूँ मैं , उन काले अक्षरों को तख्ती परसारे जग को इन...

Read more

साईं हूँ

कभी मुझे ऊँचा दीखता आसमान कहा गयाकभी मुझे मंदिर में बैठा भगवान कहा गयासबका मालिक एक है , मैं बस साईं हूँ सिरडी काफिर नजाने क्यों मुझे खुदा का अपमान...

Read more

वो चित्रकार है बड़ा

क्या आकार है मालिक का, ये मैं बता नहीं सकताकितना सुंदर है ये भी तुम्हे , मैं दिखा नहीं सकतामालिक का तो एक नूर ही काफी है , इस सृष्टि कोवो चित्रकार...

Read more