Author: Gurmeet Singh

लिए खड़े हैं हम खुल

मित्र मेरे करीब के टोक देना हमको गर करें हम कोई भूलखुद भी चलना तुम संभलकर कहीं लग न जाये कोई शूलअब किसकी राह तकते हो मित्र क्यूँ इतना विलम्ब...

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दोस्ती खिलौना नहीं

मेरी दोस्ती किसी जौहरी का जेवर नहीं, कि कोई आये और लूट जायेमंजिल अलग हैं हमारी, मगर रिश्ता कमजोर नहीं जो बाहें छूट जायेअरे मैं कहता हूँ अपनी दोस्ती...

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हजारो गर्दन भी कट जाती हैं

ज्यादा फ़ैलाने पर पैर, बड़ी से बड़ी चादर भी फट जाती हैढील देने से ज्यादा, खूबसूरत उड़ती पतंग भी कट जाती हैमत करो ये लड़ाईयां, ये द्वंद अपने ही देश में...

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