मेरी दास्ताँ शायद कोई...
Author: Gurmeet Singh
तेरा आशियाना बदल रहा है
अब कोई कसूर तो तुम्हारा...
मौहब्बत कहाँ होती है आजकल
बाज़ार लगता है साहब ,...
नेता जी खड़े होकर कहा रहे हैं पकौड़े
नेता जी खड़े होकर खा रहें...
मुद्दत के बाद सोया हूँ चैन से
कम्बख्त बड़ी मुद्दत के...
तु शुरुआत कर
एक दफा तु जरा हंसकर बात...
कोई लिबास नहीं रखता
टूटा हुआ है दिल हर किसी पर...
कसूर तस्वीरों का है ही नहीं
कसूर तस्वीरों का है ही...
कोई शरारत कर रहा हूँ मैं
सुप्रभात पहली मुलाकात...
कौन अपना, और कौन पराया
छोले मिलते देखें होंगे...