आज फिर बादल
आज फिर बादल ये शेर सा गरजने लगा है
बिजली कड़क रही है आसमाँ जलने लगा हैं
बूंदों ने पकड़ा है हाथ लहरते पत्तो का
भीगा आँगन भी फूलो सा महकने लगा है
मेरी अपनी कहानी
आज फिर बादल ये शेर सा गरजने लगा है
बिजली कड़क रही है आसमाँ जलने लगा हैं
बूंदों ने पकड़ा है हाथ लहरते पत्तो का
भीगा आँगन भी फूलो सा महकने लगा है
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