आँखों की शर्मिंदगी Author Gurmeet Singh Created August 11, 2014November 14, 2016 Updated November 14, 2016August 11, 2014 Comments 0 Reading time Less 1 min Views 37 Categories: अन्य, मुक्तक कभी ठोकर खाती है कभी ठोकर खिलाती है जिन्दगी तेरीकभी महबूब तो कभी अल्लाह , याद दिलाती है बंदगी तेरीमैं बस सर उठा कर जीता था सारे जहान में तेरे ही फक्र मेंअब मेरी भी आँखे झुका देती है ये आँखों की शर्मिंदगी तेरी #गुनी …
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