नेता जी खड़े होकर कहा रहे हैं पकौड़े

नेता जी खड़े होकर  खा रहें हैं पकौड़े
जनता धूप में बैठी चला रही है हथौड़े

महंगाई की तो अपनी अलग रंजिस है
अब नंगा नहाये क्या , क्या वो निचोड़े

कृषि प्रधान देश है मेरा मगर यहाँ पर
अन्नदाता ही देखो , खड़े हैं हाथ जोड़े

अंत नजदीक है, तुम्हारी सल्तनत का
आखिर में तो, संभल जाओ तुम थोड़े

संभल जाओगे तो अच्छा होगा वरना
तुम्हें जल्दी खाने पड़ेंगे ढेर सारे कोड़े

#गुनी…

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