निवाला देखता हूँ Author Gurmeet Singh Created September 15, 2014November 14, 2016 Updated November 14, 2016September 15, 2014 Comments 0 Reading time Less 1 min Views 41 Categories: अन्य, मुक्तक आज दिलो में अँधेरा और चेहरे पर उजाला देखता हूँभीड़ में प्यार मौहब्बत का निकला दिवाला देखता हूँअगर एक गरीब ही बनकर कहूं मैं गरीब की भाषा में तब बस सपने में भी एक वक़्त का निवाला देखता हूँ #गुनी…
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