जाने मेरे देश में आजकल...
Month: July 2016
कैसी प्रीत हो गई हो
बेवक़्त आती हो , कैसी प्रीत...
कयामत सा दौर है
जख्म किस तरह से दिखाऊं...
कश्तियाँ हैं, पतवारें नहीं है
आसमां है मगर तारे नहीं...
तेरा मेरा मिलना कोई इत्तिफ़ाक नहीं था
तेरा मेरा मिलना कोई...
ख्वाईश आसमां को छूने की है
बेशक हम आज भी अपनी हदो में...
भूल जाता हूँ सारे गम कहीं तो
सच, एक हौसला मिल जाता हैजब...
मंजिलें तेरी जरा भी दूर नहीं
मंजिलें तेरी जरा भी दूर...