Year: 2015

सिर्फ हिन्दुस्तान चाहिए

मैं जब घर से निकलता हूँ, थोड़ी दूर चलता हूँ,चारो और देखता हूँ, एक ही बात नजर आती हैउजाला खो गया बस रात ही रात नजर आती हैकुछ लोगो के मुँह पर ललकार...

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कलम से पहचान होती है

पंखो से नहीं , बुलंद हौसलो से उड़ान होती हैयुवा पीढ़ी उम्र से नहीं इरादों से जवान होती हैबेसक तलवारे कितनी भी बड़ी बड़ी रख लोकलमकार की सिर्फ कलम से...

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