मैं जब घर से निकलता हूँ, थोड़ी दूर चलता हूँ,चारो और देखता हूँ, एक ही बात नजर आती हैउजाला खो गया बस रात ही रात नजर आती हैकुछ लोगो के मुँह पर ललकार...
Year: 2015
मैं तोड़ दूं क्या
बस ऐसे ही ... 😊सवाल सिर्फ ये...
मौत को तो सुनहरा रहने दे
तूने मुखोटे पर मुखोटे...
हुक्म इन जल्लादो का
देश मेरा, देश की जमीं मेरी...
एक भी न हो सरहद
भारतीय हूँ, वैसे तो मुझे...
मेरे गुनाहो में शरीख, तु भी कम नहीं
मेरी गलतियों के पन्ने...
मेरे मुकद्दर में तु नहीं
मेरे मुकद्दर में तु नहीं ,...
कैसा रास्ता बताऊँ मैं
हद हो गई लोगो की बातो से...
लड़ाई चाहिए
मियां किसे चिरागों की...
कलम से पहचान होती है
पंखो से नहीं , बुलंद हौसलो से उड़ान होती हैयुवा पीढ़ी उम्र से नहीं इरादों से जवान होती हैबेसक तलवारे कितनी भी बड़ी बड़ी रख लोकलमकार की सिर्फ कलम से...