सुप्रभात मित्रोहाज़िर है एक मुक्तक .... इशारा कहाँ है बेसक आप समझ जायेंगे इशारो की जुबां तो आती ही है आपको...दाग है खूबसूरत चाँद में भी , कहीं चाँद...
Year: 2015
मैं महफूज हूँ सीमा पर
मैं महफूज हूँ सीमा पर, मेरी माँ रोज खुदा से इबादत करती हैघर कभी कभी जाता हूँ छोटी बहन हमेशा शिकायत करती है#गुनी...
तुम्हे लिखना नहीं आता
शुभ प्रभातनोटों का ढेर लगा था मगर लोगो ने कह दिया तुम्हे रखना नहीं आताउन्नति की उम्मीद बहुत थी उन्होंने फिर कहा तुम्हे उठना नहीं आताऔर मैं तो एक एक...
मुझसे ज्यादा प्रेम करे
खिल जाये फूल और चारो और खुशियों की सुगंध निराली होबेसक ज्यादा नहीं पर कहने भर की ही मेरे पास खुशहाली होसुनकर सबका बदहाल यहाँ पर , एक तस्वीर बनाकर...
माटी माटी है गई
खूब बनाये अपने, अपने छोड़...
खुश हूँ मगर फिर वही डर
अब किसी प्याले का नशा...
निगाहो में जा छलके
मैं अश्को को उनसे छिपाता...
माँ से बात किये हुए
नमस्कार मित्रोएक सैनिक...
मुझे बांध रखा है आज भी तेरे मासूम इशारो ने
नमस्कार मित्रोबस यूँ ही .... मगर किसी ख़ास के लिए कल एक बार फिर सब यादे ताजा हो गयी और लगा वो वापस आ गयी बेहद खुश हूँमुझे बांध रखा है आज भी तेरे...