Year: 2015

बाग़ शमशान न हो जाए

सुप्रभात मित्रोहाज़िर है एक मुक्तक .... इशारा कहाँ है बेसक आप समझ जायेंगे इशारो की जुबां तो आती ही है आपको...दाग है खूबसूरत चाँद में भी , कहीं चाँद...

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तुम्हे लिखना नहीं आता

शुभ प्रभातनोटों का ढेर लगा था मगर लोगो ने कह दिया तुम्हे रखना नहीं आताउन्नति की उम्मीद बहुत थी उन्होंने फिर कहा तुम्हे उठना नहीं आताऔर मैं तो एक एक...

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मुझसे ज्यादा प्रेम करे

खिल जाये फूल और चारो और खुशियों की सुगंध निराली होबेसक ज्यादा नहीं पर कहने भर की ही मेरे पास खुशहाली होसुनकर सबका बदहाल यहाँ पर , एक तस्वीर बनाकर...

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मुझे बांध रखा है आज भी तेरे मासूम इशारो ने

नमस्कार मित्रोबस यूँ ही .... मगर किसी ख़ास के लिए कल एक बार फिर सब यादे ताजा हो गयी और लगा वो वापस आ गयी बेहद खुश हूँमुझे बांध रखा है आज भी तेरे...

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