गलती थी मेरी जो मैं अजनबी...
Year: 2015
गाज लिखेंगे
नयी जगह नया सवेरा नए...
सपने में गजब की बात हो गयी
सपने में गजब की बात हो...
अपनो को ढूंढता रहा
गलती थी मेरी जो मैं अजनबी...
दोस्ती नसीब नहीं होती
सुप्रभात मित्रोआज बहुत...
माँ रखती थी कितना ख्याल
सभी को प्रणाम....यात्रा आनंदमयी है सुखद है आज सुबह जब आँख खुली तो क्या देखा मुक्तक से बताने की कोशिश ... अच्छा लगे तो बालक को आशीर्वाद देंजो आँखें...
तो बताओ क्या कहोगी
... दिल से शुक्रिया "हाँ"...
भारत का सुंदर आज लिखूं
नमस्कार एक छोटी सी कोशिश आपके अनुज कीचाहे गद्य लिखूं, चाहे पद्य लिखूं, मौला शक्ति देना इतनी शेरो की आवाज लिखूंचाहे रोके दुनियाँ सारी भी मिलकर मुझको...
है यही मलाल आजकल
जाने से पहले..घर की मुंडेर...
इजाजत है
सिर्फ तुम...ये पल आखिरी...