ऐ गुस्ताख , चाँद की झूठी...
Month: May 2015
दूर रहो हमसे मुझे राह...
यहाँ इंसानो को इंसानो से...
तेरी अदाएं इन्हें आती हैं
ये मौसम, ये हवाएँ, ये...
कोई नवातार लिखो
जागो ऐ युवाओ, अब तुम शेरो...
ख़त
जिंदगी के इस विद्यालय में एक सुनहरा अक्षर भी होता तो कोरे कागज पर पूरा ख़त लिख देता मैं #गुनी...
याद आएगी मेरी बात
तुम ख़ास हो हम हैं ख़ाक कहाँ...
गुनी अपने पैरो की छाप न...
कई जनो को ढूंढता रहा
गलती थी मेरी जो मैं अजनबी...
गाज लिखेंगे
नयी जगह नया सवेरा नए...