पिछले अंक में दरोगा जी...
Month: August 2014
#गैर और #अपने
मैंने #गैरो पर गुस्सा...
दरोगा जी — अंक – 1
हर बार की तरह इस बार भी...
#ख़ुशी …
मुझे उनसे बाते करके #ख़ुशी...
जीवन की सबसे बड़ी भूल
जीवन की सबसे बड़ी भूल केवल...
क्या है मेरा
कभी कभी जीवन में कुछ ऐसा...
प्यार का जाल
गरीब हूँ बेसक मन में...
रूप तराशते
तुम फूलो से सजा देती हो...
लिए खड़े हैं हम खुल
मित्र मेरे करीब के टोक देना हमको गर करें हम कोई भूलखुद भी चलना तुम संभलकर कहीं लग न जाये कोई शूलअब किसकी राह तकते हो मित्र क्यूँ इतना विलम्ब...
अश्क-ए-नैना
अश्क-ए-नैना मेरे इतने...