Month: December 2013

गुलाब-ए-गुलिस्तां

मेरी आँखे भी बंद होती है तो तेरा चेहरा नजर आता है मेरी धड़कन भी बंद होती है तो तेरा रूप समझ आता है मुझे क्या मतलब होगा उस कीचड़ में खिलते कमल से जब...

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मैंने “उन्हें” चुना हैं

मोहब्बत की उलझनों से मैंने तक़दीर को बुना है टिमटिमाते तारो से भी मैंने एक संगीत सुना है समय के साथ बदल जाया करते हैं लोग बदलते लोगो को देखकर ही...

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जहन्नुम से अपनी जगह चुरा रहे हो

बनावट के खिलोनो से क्या तुम कुदरत को सजा रहे हो जरा आज सच तो बताओ तुम किसे बेवकूफ बना रहे हो वो मालिक जिसने तुझे सजाया है, तुझे भी पता है छेड़...

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