Month: October 2013

मेरे हाथ ख़त भी नहीं

मेरे हाथ ख़त भी नहीं उन तक पैगाम पहुँचाने को मेरे साथ वो भी नहीं कुछ वक़्त बिताने को मैं तड़प रहा शिशिक रहा हूँ यादो में उनकी मेरे पास कोई राह नहीं...

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माँ

माँ की महिमा गाने मैं आया हूँमाँ क्या होती है ये बतलाने मैं आया हूँबचपन में रोता देख मुझे रोटी थी माँआज वो बचपन खो चुका हूँमगर उस माँ की याद दिलाने...

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अकेला हूँ

क्या ढूँढने निकलाहूँमैं नहीं जानताइस महकती खुशबू को मैं नहीं पहचानतामैं कल भी अकेला था आज भी अकेलाहूँकोइ किसी का है इस दुनिया में मैं नहीं मानता

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तेरी चाहत में सब कुछ भुला दिया

तेरी चाहत में सब कुछ भुला दियातेरी यादो नें आज मुझे रूला दियासोचताहूँएक पल के लिए भूल जाउं तु झेलेकिन भूलने की चाहत ने ही तेरा आशिक बना दिया

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कवि हूँ

अपने शब्दों के जाल में मैं किसी को फ़साना तो नहीं चाहता हसंते हुए को आज रुलाना तो नहीं चाहता जगमगाते दिए को बुझाना तो नहीं चाहता सोचकर देख कवि हूँ...

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जय होने दो

भारत माता की जय होने दोआज फिर एक नया संविधान तय होने दो अपनी जिंदगी नीलाम होने दोआज फिर ये धरती लहू लुहान होने दो माता प्रेम में मुझे तुम जवान होने...

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उनकी तस्वीर देखा करते हैं

हम महफ़िल में बैठकर उनकी तस्वीर देखा करते हैंरोज साँझ सवरे उन्हें अनजान राहो में ताका करते हैंहम तो आशिक मिजाज़ हैं, दीवाना है अंदाजगुस्से को भी...

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एक अवसर मुझको भी ऐसा मिल पाया था

एक अवसर मुझको भी ऐसा मिल पाया थामाँ ने हाथो से अपने मुझको झुला झुलाया थापापा ने कहकर बेटा अपने गले मुझे लगाया थाबदल गयी थी जिन्दगी मेरीजब मैंने सेवा...

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जब से देखा है मैंने मालिक के नूर को

जब से देखा है मैंने मालिक के नूर कोतब से लगता है कि,ख्वाबो में तुम, निगाहो में तुमबांहो में तुम, सांसो में तुमरगो में तुम, खून में तुमनदी में तुम,...

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